' धत !!!' - कलात्मक हास्य (बिना मात्रा )



धत !!! ' : हास्य-कविता ( Hasya Kavita - Majaal )

' धत !!!'  - कलात्मक हास्य (बिना मात्रा )

' तब कब ? '
' कल ! '

'तवम न अवगत,
वह कहवत -  न टल कर पर, कर अब !
तवम इक इक हरकत,
हमर प्रण हर !
तवम अधर - रस रस !
सब इनदरय तड़पत फड़ फड़ !
न बन हरदय पतथर !
बस एक,
एक बस !
लब पर लब सपरश ! '

'यह समय ?
न प्रशन !'

' तब कब ? रत बखत ? '

' धत  !!! '

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