बिना मात्रा की कविता .. !
नयन जल भरत,
टपक टपक बहत,
हरदय करत दरद,
सब कहत,
वह बस - अप गरज,
न सहमत !
करत नटखट वह,
हम फसत !
हम कहत कहत थकत,
यह मगर, हठ करत,
हर बखत,
बस यह रट,
"दरसन ! दरसन !"
बस एक झलक,
फकत,
कमबखत !
टपक टपक बहत,
हरदय करत दरद,
अनवरत !
सब कहत,
वह बस - अप गरज,
पर,
यह मन,न सहमत !
करत नटखट वह,
हम फसत !
हम कहत कहत थकत,
यह मगर, हठ करत,
बस खट -पट , खट- पट,
सतत !
हर बखत,
बस यह रट,
"दरसन ! दरसन !"
बस एक झलक,
फकत,
कमबखत !
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