' च न क ट ! ' - हास्य-कविता ( Hasya Kavita - Majaal )
उफ़ !
वह समय !
जब तवम,
यह जगत,
उपसथत !
तवम परम जड़ मत !
सब यतन-जतन,
सब गरह,
तवम समक्ष,
असफल !
' यह मम रच ?! '
सवयम भगवन अचरज !
यह बड़ कद कठ,
न कम धम करत ,
बस धन खरच,
खपत खपत फकत !
हमर नक दम,
जब तब !
कमबखत !
करम जल !
हम गय पक !
समझ यह हद !
अब जल सर चढ़ !
हमर सबर ख़तम !
अगर अब करत उलट पलट !
तवम पठ, हमर लठ !
बक बक न कर,
हम धर,
एक चनकट !
वह समय !
जब तवम,
यह जगत,
उपसथत !
तवम परम जड़ मत !
सब यतन-जतन,
सब गरह,
तवम समक्ष,
असफल !
' यह मम रच ?! '
सवयम भगवन अचरज !
यह बड़ कद कठ,
न कम धम करत ,
बस धन खरच,
खपत खपत फकत !
हमर नक दम,
जब तब !
कमबखत !
करम जल !
हम गय पक !
समझ यह हद !
अब जल सर चढ़ !
हमर सबर ख़तम !
अगर अब करत उलट पलट !
तवम पठ, हमर लठ !
बक बक न कर,
हम धर,
एक चनकट !
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