आज कुछ हास्य अपनी अवधी भाषा में
जब अठवां दर्जा पास केहेन
औ पहुँचेन इंटरकालेज मा।
तौ पैजामा छूटि गवा
पतलून आय गै नालेज मा।
पैन्ट शर्ट हम पहिनि लेहेन
औ बारन मा कंघी मारा।
मूडे मा साफा बाँधि लीन
हैंडिल मा टाँगि लेहेन झ्वारा।
चलतै अम्मा टोंकि दिहिन
छूँछै कहाँ जाव नाना ।
दिन भरि भूँखे मरि जइहौ
लिहे जाव थ्वारा खाना।
अब टिफिन सिफिन तौ रहा नही
खाना कैसे लै जाई।
चारि परेठा औ अचार
बाँधि रुमालै मा लांई।
फिर नोट पाँच कै दिहिन आय
सूखै न बेटवा खाय लेहेव।
लियौ रुपैय्या धरे रहौ
कुछ चाट साट लगुवाय लेहेव।
खैर चलेन हम घर ते फिर
घंटा भर सइकिल दौरावा।
जब हम थकि कै चूर भयेन
तब जाय कहूँ कालेज आवा।
पहिलेन दिन कुछ देर होइ गई
पहिला घंटा छूटि गवा।
मोट बेहैय्या कै लगदा
हमरे हाथे पै टूटि गवा।
खैर गएन फिर कक्षा मा हम
फिर बैठै कै जघा बनाया।
आगे तौ खाली रही नही
पाछे बैठै का पावा ।
अब शुरू गणित कै क्लास भई
समझि कुछू न हम पाई।
खाना कै खुशबू सूँघि सूँघि
सोंचित इहिका कब खाई।
एतने मा जाने का भवा
टीचर हमका किहिन खडा।
आधे औ चौथाई मा
चलौ बताऊ कौन बडा।
अब खाना ते ध्यान हटा
हम खडे समस्या साथ खडी।
ई बटा सटा के चक्कर मा
लागत है हमका मार पडी।
आधे मा नीचे दुइ देखाय
चौथाई मा चारि धरा ।
दुइ दूना चारि पढा अब तक
चौथाइन बडा देखाय परा।
पूरी कक्षा हँसै लागि
जब जवाब हम बतलावा ।
इज्जत कै खटिया खडी हुई
सही जवाब न दै पावा।
फिर अँगरेजी की कक्षा मा
एक बार फिर नाक कटी।
नाउन नव्वा की दुलहिन
कहतै सबकै छूटि हँसी।
Nice
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteIss kavita ke rachayita kaun hain ??
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