- तेरी गुड़िया
- रूठकर तू क्यों बैठा है भाई, अब मुझसे बात कर
हो गई गलती मुझसे, अब अपनी बहन को माफ कर
बिन तुझसे बात किए कैसे कटेगा वक्त मेरा
देख फलक की ओर चांद की तन्हाई एहसास कर
आज मैं तेरे संग हूँ, कल तुझसे रुखसत हो जाऊंगी
फिर पछताना मत, क्यूंकि मैं लौटकर न फिर आऊंगी
वो रक्षाबंधन और भाई दूज की मस्तियाँ याद कर
और बचपन की शरारतों का फिर से आगाज कर
अब भी गर न बोला तू, तो तुमसे मैं भी रूठ जाऊंगी
एक बार तू मुस्कुरा दे, वरना मैं रोने लग जाऊंगी
नासमझ है तेरी गुड़िया, गुस्ताखी उसकी माफ कर
पड़ गई जो धूल स्नेह पर चल उसको अब साफ कर
– प्रभात कुमार (बिट्टू) बख्तियारपुर, पटना Patna
तेरी गुड़िया
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