- हर साल बड़े-बड़े वादों के साथ आते हैं ये,
हर साल यू ही निराश कर चले जाते हैं ये !
हर बार एक ही बात कह जाते हैं ये,
हर वक्त यही सुनाते हैं ये,
कि बदल कर रख देंगे इस समाज को हमारे लिए ,
हर वक्त यही दावे करते रहते हैं ये!
इनकी बातों में आकर हम अपनी राह से भटक जाते हैं,
इनको अपना बहुमत देकर, बाद में पछताते हैं!
इनके चक्कर में रहकर तो हम झूठ और धोखे ही पाते हैं,
जब कभी होता है हमें इनके झूठ का एहसास ,
तो हम निराश होकर अपने सच्चाई से बने घरौंदो मे लौट आते हैं!
इनकी तो शान झूठी , पहचान झूठी , इनकी तो हर एक बात झूठी,
बदल कर रख देंगे हम इन घूसखोरों को, इनकी तो सरकार झूठी!
– नमिता कुमारी ( एम. ए. प्रथम वर्ष )
हर साल बड़े-बड़े वादों के साथ आते हैं ये, हर साल यू ही निराश कर चले जाते हैं ये !
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