***हे माँ तू कहां गई***

***हे माँ तू कहां गई***









हे माँ  तू कहां गई है, मेरी माँ तू कहां गई है
माँ तेरी ममता, तेरी यादें मेरे साथ हैं
देखूँ तुझे जब स्वप्न में भी
बस अब आंसुओं की बरसात है।
माँ की मुस्कराहट मोहब्बत की पहचान है।
माँ के चरण पड़े थे जिस मिट्टी पे,
उस मिट्टी पे अब माँ की यादें है
हे माँ तू कहां गई है माँ तू……।।
जब मैं रोता था तू चुप कराती थी
मैं हँसता था तू हंसाती थी।
जब भूखा था  तो तू खिलाती थी
आज रोता हूँ आज हँसता हूँ
आज भूख लगी लेकिन तू नहीं आई
बस तेरी याद आ गई
हे माँ तू कहां गई है माँ तू……।।
कल मैं जागा तो देखा माँ आ गई
मैं रोया, तो रोते हुए मेरे पास आ गई।
मैं बोला माँ उसका क्या वजूद है
जिसकी माँ उसके घर मौजूद नहीं है।
माँ तेरी महिमा अमर महान हुई
तेरे आंसुओं की तो अमृत से पहचान हुई।
हे माँ तू कहां गई है हे माँ तू…..
कल पूछा किसी ने, तेरी माँ कहां है ?
मैं रो पड़ा और बोला, हाँ मेरी माँ कहां है ?
तभी देखी उसकी तस्वीर दीवार पे जड़ी है
मैं रोया फूटकर तो देखा माँ मेरे पीछे आ खड़ी है।
माँ बोली, मेरे लाल अब मैं नहीं हूँ….
अब बस मैं तेरी यादों में हूँ…. बस तेरी यादों में हूँ
हे माँ तू कहां गई है माँ तू कहां गई।।।।
– Rajeev Kumar Lucknow UP

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