कॉलेज का ये घटनाक्रम शुरु हुआ कुछ इस प्रकार से,
दिल्ली आये B.Tech करने झा बाबू बिहार से|
दिल्ली आये B.Tech करने झा बाबू बिहार से|
थोडा मुश्किल से पहुंचे पर college पहली नज़र में भा गया ,
अब तो लेना ही था एड्मीसन आखिर दिल जो इस पर आ गया|
अब तो लेना ही था एड्मीसन आखिर दिल जो इस पर आ गया|
हक्के-बक्के खडे रह गए, क्या दे अब प्रतिउत्तर,
कुछ इस अदा से recepsionist ने बोला था “welcome sir”|
कुछ इस अदा से recepsionist ने बोला था “welcome sir”|
उस नव-युवती से अंग्रेजी वार्ता में दिखे बड़े बेहाल से,
क्या करते बाल-ब्रह्मचारी थे पिछले पच्चीस साल से|
क्या करते बाल-ब्रह्मचारी थे पिछले पच्चीस साल से|
college के पहले दिन के अंजाम से अंजान थे ,
मूछों पर ताव था और दिल में बड़े अरमान थे|
मूछों पर ताव था और दिल में बड़े अरमान थे|
रैगिंग में कब सीनियर्स ने जूनियर्स को माफ़ किया ,
पहले बालों को हाफ, फिर मूछों को साफ किया |
पहले बालों को हाफ, फिर मूछों को साफ किया |
सजा मिली की जा के उस लड़की से प्यार का इजहार करो,
जब तक ‘हाँ’ न कह दे तब तक ये बरं-बार करो |
जब तक ‘हाँ’ न कह दे तब तक ये बरं-बार करो |
पाव तले जमीं खिसक गयी पसीने से नहा गए,
सुरसा सी कन्या देख यमदूत भी याद आगये |
सुरसा सी कन्या देख यमदूत भी याद आगये |
सीनियर्स के खूब हड़काने पर झा ने अपना वार किया ,
डरते-डरते पास गए, बड़ी मुश्किल से इजहार किया |
डरते-डरते पास गए, बड़ी मुश्किल से इजहार किया |
प्रति-उत्तर जानने को जब गौर से उसका चेहरा देखा,
मुस्कुराहट देख के सोचे “प्रबल है आज किस्मत की रेखा”|
मुस्कुराहट देख के सोचे “प्रबल है आज किस्मत की रेखा”|
खुली आँखों से पल भर में सैकडों ख्वाब देख डाले,
“लगता है ठीक से समझे नहीं मुझे अभी सीनियर्स साले” |
“लगता है ठीक से समझे नहीं मुझे अभी सीनियर्स साले” |
तभी उनके ख्वाबो पर अचानक वज्रापात हुआ,
४४० के झटके का, गालों को आभास हुआ |
४४० के झटके का, गालों को आभास हुआ |
“I am your senior, तुमने ये कहा कैसे”,
झा बाबू बोले पमोलियन कुत्ता पु-पुवाये जैसे.|
झा बाबू बोले पमोलियन कुत्ता पु-पुवाये जैसे.|
मार ninghti(90) – मार ninghti, 180 को पार किया ,
तब जा के बाला ने झा बाबू को माफ़ किया |
तब जा के बाला ने झा बाबू को माफ़ किया |
झा जी का पहला साल बस ऐसे ही गुजरा था ,
किसी ने बनवाया मुर्गा तो कोई करवाया मुजरा था|
किसी ने बनवाया मुर्गा तो कोई करवाया मुजरा था|
class में भी हर रोज होता नया कमाल था ,
बस ऐसे ही झा जी का गुजरा पहला साल था|
बस ऐसे ही झा जी का गुजरा पहला साल था|
… क्रमश:
(प्रस्तुत कविता मेरी कल्पना मात्र है इसका किसी वास्तविक घटना से कोई वास्ता नहीं है, मेरी इस रचना से अगर किसी की भावना को अगर ठेस पहुची हो तो उसके लिए मैं सहिर्दय क्षमाप्रार्थी हूँ )
(प्रस्तुत कविता मेरी कल्पना मात्र है इसका किसी वास्तविक घटना से कोई वास्ता नहीं है, मेरी इस रचना से अगर किसी की भावना को अगर ठेस पहुची हो तो उसके लिए मैं सहिर्दय क्षमाप्रार्थी हूँ )
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