प्रकृति

प्रकृति
प्रकृति ने अच्छा दृश्य रचा
इसका उपभोग करें मानव।
प्रकृति के नियमों का उल्लंघन करके
हम क्यों बन रहे हैं दानव।
ऊँचे वृक्ष घने जंगल ये
      सब हैं प्रकृति के वरदान।
इसे नष्ट करने के लिए
      तत्पर खड़ा है क्यों इंसान।
इस धरती ने सोना उगला
उगलें हैं हीरों के खान
इसे नष्ट करने के लिए
तत्पर खड़ा है क्यों इंसान।
धरती हमारी माता है
      हमें कहते हैं वेद पुराण
इसे नष्ट करने के लिए
      तत्पर खड़ा है क्यों इंसान।
हमने अपने कर्मों से
हरियाली को कर डाला शमशान
इसे नष्ट करने के लिए
तत्पर खड़ा है क्यों इंसान।
–  कोमल यादव
खरसिया, रायगढ़ (छ0 ग0)

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किसान की जमीन को गलत तरीके से बहला फुसला कर के कब्जे में किया

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