मंजिल


  • मंजिल
    बढ़ता चल तू ऐ मुसाफिर
    मंजिल तेरे निकट होगी
    हौसला रख दिल में अपने
    ख्वाहिशे तेरी पूरी होगी
    संकल्प ले यदि मन में अपने
    उत्साह कभी ना कम होंगे
    बढ़े थे, बढ़े हैं और बढ़ते रहेंगे
    हर बेडी़यो को तोड़ते रहेंगे
    अगर दूर दिखती हो तेरी मंजिल
    सब्र कर तू कभी गम ना कर
    झोपड़ी से महल यदि है तुझको बनाना
    तो कोशिश को अपने कभी कम ना कर
    बड़ा चल बड़ा चल तू हर क्षण बढ़ा चल
    तेरी मंजिल मिलेगी कभी ना कभी
    विश्वास रख तू खुदा पर अपने
    ख्वाइश तेरी पूरी होगी
    बढ़ता चल तू ऐ मुसाफिर
    मंजिल तेरे निकट होगी
    – कंचन पाण्डेय Mirzapur ( उत्तर प्रदेश )

3 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 16 अक्टूबर 2021 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !

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  2. बहुत ही प्रेरक सुंदर रचना!

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  3. वाह!बेहतरीन👌

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