मियाँ 'मजाल' ने देख रखी, कई रमिया और छमिया,

aasha ka deepak (darshan haasya)















मियाँ 'मजाल' ने देख रखी,
कई रमिया और छमिया,
पूरी नहीं तो भी,
लगभग आधी दुनिया,
नुस्खे जांचे परखे है ये सारे,
जो तुम आजमाओ,
आशा नहीं, तो हताशा से नहीं,
नताशा से काम चलाओ !
सुबह होने को दीपक बाबू !
कुछ देर और निभाओ !


तुमने आशा से उम्मीद लगाईं,
उसने दिया ठेंगा दिखाई,
लड़कपन में चलता है ये सब,
दिल पर नहीं लेने का भाई.


आशा मुई होती हरजाई,
कभी आए, तो कभी जाए,
पर जाते जाते सहेली किरण को,
भी पास तुम्हारे छोड़ते जाए,
किरण दिखे छोटी बच्ची सी,
मगर है यह बड़ी अच्छी सी,
आशा नहीं तो न सही,
किरण से ही दिल बहलाओ !
सुबह होने को दीपक बाबू !
कुछ देर और निभाओ !


बहुत मिलता है जीवन में,
और बहुत कुछ खोता है,
चलता रहता खोना पाना,
होना होता, सो होता है.
निराशा के पल भी प्यारे,
बहुत कुछ सिखला जातें है,
रुकता नहीं कभी भी, कुछ भी ,
ये पल भी बढ़ जातें है.


ख्वाब मिले, उम्मीद मिले,
अवसाद , या धड़कन दीर्घा,
सपना मिले, किरण मिले,
मिले आशा, या प्रतीक्षा,
जो भी मिले बिठालो उसको,
गाडी आगे बढाओ ... !
सुबह होने को दीपक बाबू !
कुछ देर और निभाओ !


मिले प्रेम या मिले ईर्षा,
मन न कड़वा रखना.
सारी चीज़े है मुसाफिर,
राह में क्या है अपना ?
सीखते जाओ जीवन से,
अनुभवों को अपने बढ़ाओ,
आशा के जाने से पहले,
एक सपना और पटाओ !


नसीब हुआ जो भी तुमको,
उसी में जश्न मनाओ.
सुबह होने को दीपक बाबू !
कुछ देर और निभाओ 

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