“वो पवित्र गीता की दोहा है”




“वो पवित्र गीता की दोहा है”
बेटी सुख की संभावना है,
बेटी ईश्वर की आराधना है।
बेटी है तो ये सुन्दर सा जहां है,
बेटी नहीं तो मानव का अस्तित्व कहाँ है?
बेटी होगी तो, घर में पायल की छन-छन होगी,
बेटी होगी तो, घर में ख़ुशी से भरी कण-कण होगी।
बेटी पावन पूजा है,
बेटी के जैसा ना कोई दूजा है।
बेटी प्रयाग की पवित्र संगम है,
बेटी है, तो भरतनाट्यम है।
बेटी सबसे पूजनीय धर्म है,
जो हर वेदना सह ले, बेटी वो मर्म है।
बेटी है तो काजल, मेहँदी, बिंदिया और सिंदूर है,
बेटी नहीं, तो ये सारे श्रृंगार नहीं।
आज बेटी ने अपने हुनर से विश्व भर को मोहा है,
इक दिन गौर से उसे पढ़ना तुम, वो पवित्र “गीता” की दोहा है।

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