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किसान की जमीन को गलत तरीके से बहला फुसला कर के कब्जे में किया
किसान की जमीन को गलत तरीके से बहला फुसला कर के कब्जे में किया ...
hasy kavita
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आज कुछ हास्य अपनी अवधी भाषा में जब अठवां दर्जा पास केहेन औ पहुँचेन इंटरकालेज मा। तौ पैजामा छूटि गवा पतलून आय ग...
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मोटूराम ! मोटूराम ! दिन भर खाते जाए जाम, पेट को न दे जरा आराम, मोटूराम ! मोटूराम ! स्कूल जो जाए मोटूराम, दोस्त सताए खुलेआम, मोटू, ...
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हमारे हर मर्ज की दवा होती है माँ…. कभी डाँटती है हमें, तो कभी गले लगा लेती है माँ….. हमारी आँखोँ के आंसू, अपनी आँखोँ मेँ समा ले...
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अंधकार को दूर कर जो प्रकाश फैला दे बुझी हुई आश में विश्वास जो जगा दे जब लगे नामुमकिन कोई भी चीज उसे मुमकिन बनाने की राह जो दिखा दे वो है...
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समय तो लगता है, शिखर पे जाने में समय तो लगता है शिखर पे जाने में पंछी को उड़ने में चींटी को चढ़ने में महल बनाने में घर सजाने मे...
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किसान की जमीन को गलत तरीके से बहला फुसला कर के कब्जे में किया ...
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साथ साथ जो खेले थे बचपन में वो सब दोस्त अब थकने लगे है किसी का पेट निकल आया है किसी के बाल पकने लगे है सब पर भारी ज़िम्म...
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दोस्तों ने कहा ट्राइ करो कभी हास्य व्यंग्य हमने कहा इसमें है हमारा हाथ तंग. अरे! एक कोशिश तो करके देखो थोड़े हंसी क...
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किसी कवि ने क्या खूब लिखा है। बिक रहा है पानी,पवन बिक न जाए , बिक गयी है धरती, गगन बिक न जाए चाँद पर भी बिकने लगी है जमीं ., डर है ...
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दर्शन हास्य - " प र व च न ! " भगवन ! यह जगत भगदड़ ! सब तरफ भगमभग ! " हम परथम ! हम परथम !" सब बस यह रट ! ...

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